Add To collaction

तेरे दर पे वो आ ही जाते हैं



तेरे दर पे वो आ ही जाते हैं

जिन को पीने की आस है साक़ी


आज इतनी पिला दे आँखों से

ख़त्म रिन्दों की प्यास हो साक़ी


हल्का हल्का सुरूर है साक़ी

बात कोई ज़रूर है साक़ी


तेरी आँखें किसी को क्या देंगी

अपना अपना सुरूर है साक़ी


तेरी आँखों को कर दिया सजदा

मेरा पहला कुसूर है साक़ी


तेरे रुख़ पे ये परेशां ज़ुल्फें

इक अन्धेरे में नूर है साक़ी


पीने वालों को भी नहीं मालूम

मैकदा कितनी दूर है साक़ी

   0
0 Comments